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लेखनी प्रतियोगिता -10-Oct-2022


घर के कोने में बैठी
महिला से मुलाकात करें
आओ आज एक
गृहणि की बात करें।

अब कुछ भी मुश्किल नहीं
काम करना धन कमाना
पर मुश्किल है अपनी 
महत्वाकांक्षाओं को दबाना।

वो क्षमतावान गुणी नारी
जो सारी बात समझती है
पर सबकी उन्नति की खातिर
अपनी उन्नति त्यागती है।

हां थोड़ा बहुत डांटती है
कभी कभी लड़ पड़ती है
पर थोड़ा सा स्नेह मिले तो
अगले पल रो पड़ती है।

तुम पूछते हो त्याग क्या है
अपने घर में देखो जाकर
सबको उम्मीदें देती है वो
अपनी उम्मीदें दफनाकर।

बेशक मुश्किल से होता है
धन, तन, मोह अन्न का त्याग
पर उससे भी मुश्किल होता है
उम्मीद भरे जीवन का त्याग।

वो सबसे बाद में सोकर भी
सबसे पहले जागी है
सबकी खुशियों में ही खुश है
सबके दुख की सहभागी है।

बेशक नारी तारे छू ले
आकाश में परचम लहराए
गृहणी का भी सम्मान रहे
उसका भी त्याग लिखा जाए।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु।





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12 Comments

Suryansh

14-Oct-2022 06:06 PM

उम्दा, उत्कृष्ट,, outstanding

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Sachin dev

11-Oct-2022 03:49 PM

Very nice 👌

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Raziya bano

11-Oct-2022 09:51 AM

Bahut khub

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Anshumandwivedi426

11-Oct-2022 10:11 AM

सादर धन्यवाद

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